कोरोना से लड़ने की तैयारी / भारत में बना 3.5 किलो का टोस्टर के आकार का वेंटिलेटर, महामारी से निपटने में बड़ी मदद मिलेगी



नई दिल्ली. कोरोनावायरस का संक्रमण दुनिया में तेजी से फैल रहा है। यह संक्रमण सीधे फेफड़ों पर हमला करता है। ऐसे में दुनियाभर के अस्पतालों के लिए वेंटिलेटर अतिमहत्वपूर्ण हो गया है। कोविड-19 के मरीजों को सांस लेने में तकलीफ न हो, इसके लिए वेंटिलेटर की बहुत जरूरत पड़ती है। इसके लिए भारतीय रोबोट साइंटिस्ट दिवाकर वैश और न्यूरो सर्जन दीपक अग्रवाल ने मिलकर एक टोस्टर के आकार का वेंटिलेटर बनाया है। इससे कोरोनावायरस महामारी में मरीज के इलाज में बहुत बड़ी मदद मिल सकती है। भारत में संक्रमण के मामले बढ़ने पर इस पोर्टेबल वेंटिलेटर का उत्पादन एक महीने में 500 से लेकर 20,000 तक किया जाएगा। इसकी कीमत करीब 2,000 डॉलर (करीब डेढ़ लाख रुपये) है जबकि फिलहाल मिलने वाले वेंटिलेटर की कीमत 10,000 डॉलर (साढ़े सात लाख रुपये) होती है। 



भारत जैसे कई देशों में बेड और वेंटिलेटर की भारी कमी है। संक्रमण के बढ़ते मामलों पर अपनी तैयारी पूरी रखने के लए भारत सरकार ने मेडिकल एक्सपोर्ट पर पाबंदी लगा दी है। इनमें वेंटिलेटर भी शामिल हैं। इस बीच, नई दिल्ली के पास अग्वा संयंत्र को काम करने की अनुमति दी गई है। अगर भारत में महामारी बढ़ती है तो इसके वेंटिलेटर बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।


3.5 किलो का वेंटिलेटर 
नोएड के अग्वा हेल्थकेयर में बनाए गए इस वेंटीलेटर का वजन मात्र 3.5 किलोग्राम है। इसके माध्यम से कम गंभीर मरीजों को अस्पताल से घर में शिफ्ट किया जा सकेगा। इसको चलाने के लिए बहुत कम बिजली की जरूरत होती है। अगर आप किसी होटल को आईसीयू में बदलना चाहते हैं तो आप आसानी से इस डिवाइस को लगाकर कर सकते हैं। इसमें और किसी भी मशीन की आवश्यकता नहीं होगी। भारत की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुती सुजुकी ने अग्वा की इस काम में मदद करने का वादा किया है। 



इस वेंटिलेटर में सामान्य वेंटिलेटर जैसे अन्य फीचर नहीं होते हैं।


बड़ी सर्जरी के मरीजों के लिए यह वेंटिलेटर उपयोगी नहीं
रोबोट साइंटिस्ट दिवाकर वैश और न्यूरो सर्जन दीपक अग्रवाल ने बताया कि 2016 में दिल्ली एम्स में वेंटिलेटर के लिए लोगों की लाइन देखकर उन्हें विश्वास हो गया था कि भारत में सस्ते और पोर्टेबल वेंटिलेटर की बहुत जरूरत है। आईसीयू बहुत मंहगा होता है। प्रायवेट हॉस्पिटल में अमीर से अमीर आदमी भी बहुत ज्यादा दिनों तक वेंटिलेटर का खर्च नहीं उठा सकता। भारत में लगभग 55,000 वेंटिलेटर हैं और विशेषज्ञों ने यूरोप में कोरोनावायरस संकट देखकर चेतावनी दी है कि भारत में वेंटिलेटर की बहुत बड़ी कमी हो सकती है ।



इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के सचिव आरवी अशोकन ने कहा कि अग्वा के पोर्टेबल वेंटिलेटर महामारी के समय में बेहद जरूरी हैं। उन्होंने कहा कि यह सीधा ऑक्सीजन पहुंचाने की डिवाइस है। यह कोरोनावायरस के मरीजों के इलाज में बेहद कारगर हो सकता है, लेकिन बड़ी सर्जरी में यह डिवाइस काम नहीं करेगी। 


पुणे में 12 घंटे में बनाया वेंटिलेटर, कीमत 50,000 रुपये
पुणे एनओसीसीए रोबोटिक्स प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी ने 12 घंटे में पोर्टेबल वेंटीलेटर तैयार किया है। खास बात यह है कि इस वेंटीलेटर की शुरुआती कीमत 50 हजार रखी गई है। एनओसीसीए के फाउंडर हर्षित राठौड़ ने बताया कि यह वेंटिलेटर खासतौर पर कोरोना मरीजों को ध्यान में रखकर बनाया गया है। नार्मल वेंटीलेटर में कई अन्य फीचर होते हैं जो इसमें नहीं होंगे। ये वेंटिलेटर पोर्टेबल हैं। अभी तक 2 वेंटीलेटर का निर्माण कर लिया और आने वाले एक सप्ताह में 20-30 वेंटीलेटर बनाने की तैयारी है। 



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